UP basic education उत्तर प्रदेश में समग्र शिक्षा अभियान के तहत ‘लर्निंग बाय डूइंग’ कार्यक्रम बच्चों को किताबी ज्ञान से आगे ले जा रहा है। कक्षा 6 से 8 तक के छात्र अब धातु कार्य, कृषि, बागवानी, ऊर्जा, पर्यावरण, स्वास्थ्य और पोषण जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। जानें कैसे यह पहल बच्चों को आत्मनिर्भर बना रही है!
उत्तर प्रदेश में समग्र शिक्षा अभियान के तहत ‘लर्निंग बाय डूइंग’ कार्यक्रम
उत्तर प्रदेश में स्कूली शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखते हुए, बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है। समग्र शिक्षा अभियान के तहत शुरू किया गया ‘लर्निंग बाय डूइंग’ कार्यक्रम सरकारी स्कूलों में पढ़ाई को नया आयाम दे रहा है। इस पहल का उद्देश्य कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को व्यावहारिक कौशल प्रदान करना है, ताकि वे न केवल किताबी ज्ञान प्राप्त करें, बल्कि वास्तविक जीवन में उपयोगी कौशलों को भी सीखें।
‘लर्निंग बाय डूइंग’ क्या है?
‘लर्निंग बाय डूइंग’ एक अनुभवात्मक शिक्षण पद्धति है, जिसमें बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत बच्चे धातु कार्य, ऊर्जा और पर्यावरण, कृषि, बागवानी, स्वास्थ्य और पोषण जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। यह पहल बच्चों में कौशल विकास को बढ़ावा देती है और उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर ले जाती है।
उत्तर प्रदेश में ‘लर्निंग बाय डूइंग’ की प्रगति
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कार्यक्रम को पूरे राज्य में लागू करने के लिए व्यापक स्तर पर काम शुरू किया है। वर्तमान में, राज्य के 75 जिलों में 2,274 सरकारी स्कूलों में लर्निंग बाय डूइंग लैब्स स्थापित की गई हैं। इन लैब्स में बच्चों को हाथों से सीखने का अवसर मिलता है, जिससे उनकी रचनात्मकता और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
- प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्र: अब तक 5,937 विद्यार्थियों ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण लिया है।
- विस्तार की योजना: इस वर्ष इस कार्यक्रम को और अधिक स्कूलों में लागू करने की योजना है, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे इससे लाभान्वित हो सकें।
यूनिसेफ और विज्ञान आश्रम की भूमिका
इस कार्यक्रम को और प्रभावी बनाने के लिए यूनिसेफ और विज्ञान आश्रम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन संगठनों की मदद से शिक्षक प्रशिक्षण और गतिविधि-आधारित मैन्युअल तैयार किए गए हैं। ये मैन्युअल शिक्षकों को बच्चों को व्यावहारिक रूप से पढ़ाने में सहायता करते हैं, जिससे शिक्षण प्रक्रिया और अधिक रोचक और प्रभावी बनती है।
‘लर्निंग बाय डूइंग’ के प्रमुख क्षेत्र
नीचे दी गई तालिका में इस कार्यक्रम के तहत शामिल प्रमुख क्षेत्रों और उनके लाभों को दर्शाया गया है:
क्षेत्र | प्रशिक्षण का प्रकार | लाभ |
---|---|---|
धातु कार्य | धातु से उपकरण और वस्तुएं बनाना | तकनीकी कौशल, रचनात्मकता और उद्यमिता को बढ़ावा देता है। |
ऊर्जा और पर्यावरण | नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण तकनीकों का प्रशिक्षण | पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सतत विकास की समझ। |
कृषि और बागवानी | फसलों की खेती और बागवानी तकनीकों का प्रशिक्षण | आत्मनिर्भरता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान। |
स्वास्थ्य और पोषण | स्वस्थ जीवनशैली और पोषण के महत्व पर शिक्षा | शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार, स्वस्थ आदतों का विकास। |
बच्चों पर प्रभाव
‘लर्निंग बाय डूइंग’ कार्यक्रम बच्चों में नई जागृति ला रहा है। यह न केवल उनकी रचनात्मकता और समस्या-समाधान की क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित भी करता है। इस पहल के माध्यम से बच्चे न केवल स्कूल में पढ़ाई करते हैं, बल्कि वास्तविक जीवन में उपयोगी कौशल भी सीखते हैं, जो उन्हें भविष्य में रोजगार और उद्यमिता के अवसर प्रदान कर सकते हैं।
शिक्षक प्रशिक्षण और इसका महत्व
इस कार्यक्रम की सफलता में शिक्षकों की भूमिका अहम है। यूनिसेफ और विज्ञान आश्रम के सहयोग से तैयार किए गए प्रशिक्षण मॉड्यूल शिक्षकों को नवीन शिक्षण तकनीकों से परिचित कराते हैं। ये मॉड्यूल सुनिश्चित करते हैं कि शिक्षक बच्चों को रुचिकर और प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें।
भविष्य की योजनाएं
उत्तर प्रदेश सरकार की योजना इस कार्यक्रम को और अधिक स्कूलों तक विस्तार करने की है। इसके लिए:
- नए लर्निंग बाय डूइंग लैब्स स्थापित किए जाएंगे।
- शिक्षक प्रशिक्षण को और सुदृढ़ किया जाएगा।
- बच्चों को और अधिक व्यावहारिक क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना बनाई जा रही है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. ‘लर्निंग बाय डूइंग’ कार्यक्रम क्या है?
‘लर्निंग बाय डूइंग’ समग्र शिक्षा अभियान के तहत एक पहल है, जो कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को व्यावहारिक कौशल जैसे धातु कार्य, कृषि, बागवानी, स्वास्थ्य, और पर्यावरण संरक्षण आदि में प्रशिक्षण प्रदान करती है।
2. यह कार्यक्रम किन स्कूलों में लागू है?
यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के 2,274 सरकारी स्कूलों में लागू है और इसे और स्कूलों में विस्तारित करने की योजना है।
3. इस कार्यक्रम में कितने छात्रों ने प्रशिक्षण लिया है?
अब तक 5,937 विद्यार्थियों ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
4. यूनिसेफ और विज्ञान आश्रम की क्या भूमिका है?
यूनिसेफ और विज्ञान आश्रम ने शिक्षक प्रशिक्षण और गतिविधि-आधारित मैन्युअल तैयार करने में सहायता प्रदान की है, जो शिक्षण को अधिक प्रभावी बनाते हैं।
5. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक कौशल प्रदान करना है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
निष्कर्ष
‘लर्निंग बाय डूइंग’ कार्यक्रम उत्तर प्रदेश में स्कूली शिक्षा को नई दिशा दे रहा है। यह पहल बच्चों को किताबों से बाहर निकालकर वास्तविक जीवन के कौशलों से जोड़ रही है। इससे न केवल उनकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है, बल्कि वे आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक बनने की दिशा में भी अग्रसर हो रहे हैं। यदि आप इस कार्यक्रम के बारे में और जानना चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट को फॉलो करें और अपने विचार कमेंट में साझा करें!
Disclaimer:
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से लिखा गया है। लेख में दी गई जानकारी विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है, लेकिन हम इसकी पूर्ण सटीकता की गारंटी नहीं देते। कृपया अधिक जानकारी के लिए संबंधित सरकारी वेबसाइटों या अधिकारियों से संपर्क करें। इस लेख का कॉपीराइट मुक्त उपयोग किया जा सकता है, बशर्ते स्रोत का उल्लेख किया जाए।
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