ट्रंप-जेलेंस्की मुलाकात: शांति की जगह हथियारों का सौदा, पुतिन से गुप्त बातचीत

By Shekhar

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जेलेंस्की-ट्रंप मुलाकात में शांति की उम्मीद टूटी, हथियारों की डील हुई। ट्रंप ने बीच मीटिंग पुतिन से 40 मिनट तक फोन पर क्या बात की?


जेलेंस्की-ट्रंप मुलाकात: शांति की बात या हथियारों का सौदा? जानिए अंदर की पूरी कहानी

वॉशिंगटन/कीव।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बहुप्रतीक्षित मुलाकात आखिरकार हो ही गई। व्हाइट हाउस की इस बैठक में यूरोप के कई बड़े नेता भी मौजूद रहे। लेकिन इस हाई-प्रोफाइल मीटिंग के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या वाकई शांति की कोई उम्मीद जगी या फिर यह मुलाकात केवल हथियारों के सौदे तक सीमित रह गई?

क्यों थी ये मुलाकात इतनी खास?

दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध को डेढ़ साल से ज्यादा हो चुका है। यूरोप और अमेरिका लगातार यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य मदद देते आ रहे हैं। लेकिन जंग थमने का नाम नहीं ले रही। जेलेंस्की की ट्रंप से मुलाकात को लेकर उम्मीद जताई जा रही थी कि शायद इस बार कोई बड़ा हल निकल आए।

मगर तस्वीरें और रिपोर्ट्स कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं।

जेलेंस्की का बदला हुआ अंदाज

याद कीजिए फरवरी की वो मुलाकात, जब ट्रंप ने जेलेंस्की को उनकी आर्मी वर्दी पहनकर आने पर डांट दिया था। लेकिन इस बार जेलेंस्की बिल्कुल बदले हुए अंदाज में दिखे। सूट-बूट में, मुस्कुराते हुए और बेहद सौम्य लहजे में।

कहा जा रहा है कि यूरोपियन लीडर्स ने जेलेंस्की को बाकायदा “ट्रेन” करके ट्रंप से मिलने भेजा। क्या पहनना है, कैसे बोलना है, यहां तक कि बातचीत का तरीका भी सिखाया गया। वजह साफ थी – किसी भी कीमत पर ट्रंप को नाराज नहीं करना।

बीच मीटिंग में पुतिन से फोन पर बात

मुलाकात के दौरान एक हैरान करने वाला वाकया हुआ। ट्रंप ने अचानक मीटिंग रोक दी और करीब 40 मिनट तक व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात करते रहे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप जेलेंस्की को आगे क्या कहना है, ये तक पुतिन से पूछते नजर आए।

इससे साफ संकेत गया कि असली ताकत पुतिन के पास है और ट्रंप भी उनके बिना कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकते।

हथियारों का सौदा और अमेरिका का फायदा

जेलेंस्की की इस मुलाकात का सबसे बड़ा नतीजा निकला – हथियारों का सौदा।
खबरें हैं कि अमेरिका यूक्रेन को 90 अरब डॉलर के हथियार बेचने पर सहमत हो गया है। यूरोप से जो आर्थिक मदद यूक्रेन को मिल रही है, वही पैसा अब अमेरिकी हथियार खरीदने में खर्च होगा।

यानी शांति की बात भले ही हुई हो, लेकिन असल में अमेरिका ने युद्ध को एक बार फिर “बिजनेस” में बदल दिया।

यूरोप क्यों महसूस कर रहा खुद को ठगा हुआ?

इस पूरी प्रक्रिया में यूरोपियन लीडर्स केवल “सहयोगी कलाकार” बनकर रह गए। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से लेकर ब्रिटेन और जर्मनी के प्रधानमंत्री तक, सभी नेता व्हाइट हाउस पहुंचे थे। लेकिन नतीजा वही – न युद्ध रुका, न कोई ठोस शांति योजना बनी।

यूरोप को लग रहा है कि उसने जेलेंस्की का साथ देकर अपने ही पैसे से अमेरिका को और ताकतवर बना दिया।

ट्रंप का बदलता अंदाज

ट्रंप, जो कभी कहते थे कि “मैं एक दिन में युद्ध खत्म कर दूंगा”, अब साफ कह रहे हैं – “जंग खत्म तो होगी, लेकिन कब होगी ये मैं नहीं बता सकता।”
उनकी यह निराशा साफ दिखाती है कि पुतिन के सामने उनकी रणनीति बेअसर हो चुकी है।

आगे क्या होगा?

सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दो हफ्तों में पुतिन, ट्रंप और जेलेंस्की की त्रिपक्षीय बैठक हो सकती है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि जमीन छोड़ने को रूस तैयार नहीं और न ही जेलेंस्की मानने वाले हैं। ऐसे में किसी बड़े शांति समझौते की उम्मीद अभी भी दूर है।


जेलेंस्की-ट्रंप मुलाकात ने एक बार फिर साबित कर दिया कि इस जंग में असली खेल “हथियारों का कारोबार” है। यूरोप और यूक्रेन कीमत चुका रहे हैं और अमेरिका इसका सबसे बड़ा फायदा उठा रहा है। शांति की बात अभी भी केवल कागजों और भाषणों तक सीमित है।


👉 आपको क्या लगता है – क्या वाकई ट्रंप पुतिन को मानकर शांति ला सकते हैं या यह सब केवल हथियारों का खेल है? अपनी राय कमेंट में बताइए।



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