भारत आएंगे ज़ेलेंस्की और पुतिन: क्या मोदी की कूटनीति रचेगी नया इतिहास?

By Shekhar

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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2025 में भारत दौरे पर आ सकते हैं। वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका और पीएम मोदी की शांति कूटनीति के बीच ये दौरे चर्चा में हैं। जानिए कैसे भारत रूस और यूक्रेन के साथ अपने रिश्तों को संतुलित कर रहा है और क्या ये दौरे वैश्विक शांति की दिशा में नया मोड़ लाएंगे।


वैश्विक कूटनीति में भारत की बढ़ती भूमिका को रेखांकित करते हुए, खबर है कि 2025 में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत का दौरा कर सकते हैं। ये दौरे ऐसे समय में प्रस्तावित हैं जब रूस-यूक्रेन संघर्ष को लेकर वैश्विक चर्चा अपने चरम पर है। भारत, जो दोनों देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है, इन दौरों के जरिए अपनी तटस्थ और शांति-प्रिय छवि को और मजबूत करने की कोशिश में है।

यूक्रेन के भारत में राजदूत ओलेक्सांद्र पोलिशचुक ने हाल ही में पुष्टि की है कि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की 2025 के अंत तक भारत आ सकते हैं। यह निमंत्रण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अगस्त 2024 को अपनी ऐतिहासिक कीव यात्रा के दौरान दिया था। पोलिशचुक ने ANI से बातचीत में कहा, “हम निश्चित रूप से राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को भारत में देखने की उम्मीद करते हैं। यह हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।” उन्होंने बताया कि दोनों देश तारीखों को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत कर रहे हैं। यह दौरा भारत-यूक्रेन संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है, जो अब तक भारत-रूस संबंधों की छाया में रहे हैं।

दूसरी ओर, रूस के राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा भी 2025 के अंत में निर्धारित है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मास्को यात्रा के दौरान इसकी पुष्टि की थी। पहले यह दौरा अगस्त 2025 के लिए प्रस्तावित था, लेकिन अब इसे साल के अंत में आयोजित किया जाएगा। यह भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन का हिस्सा होगा। रूस के साथ भारत का “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” का रिश्ता है, और यह दौरा इसे और मजबूत करेगा।

भारत की स्थिति अनूठी है क्योंकि वह रूस और यूक्रेन दोनों के साथ अच्छे संबंध रखता है और पश्चिमी देशों से भी उसकी साझेदारी मजबूत है। पीएम मोदी ने बार-बार “यह युद्ध का युग नहीं है” कहकर शांति और संवाद की वकालत की है। 2024 में उनकी मास्को और कीव यात्राओं, साथ ही पुतिन और ज़ेलेंस्की के साथ नियमित बातचीत, भारत की शांति प्रयासों को दर्शाती हैं। कीव में मोदी ने दोनों पक्षों से बातचीत की अपील की और शांति के लिए भारत की मदद की पेशकश की। हाल ही में पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच अलास्का शिखर सम्मेलन को भारत ने “प्रशंसनीय” कदम बताया।

ज़ेलेंस्की और पुतिन के दौरे भारत के लिए अवसर और चुनौतियां दोनों लाते हैं। भारत का रूस से रियायती तेल खरीदना, जो उसकी कुल तेल आयात का दो-पांचवां हिस्सा है, पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय रहा है। ज़ेलेंस्की ने हाल ही में मोदी के साथ बातचीत में रूस के तेल निर्यात को सीमित करने की आवश्यकता पर जोर दिया था ताकि उसकी युद्ध वित्तपोषण क्षमता कम हो।

ज़ेलेंस्की का दौरा आर्थिक सहयोग, रक्षा और प्रौद्योगिकी पर केंद्रित हो सकता है, जबकि पुतिन के दौरे में 2030 तक 100 अरब डॉलर के व्यापार लक्ष्य पर जोर होगा। भारत के लिए ये दौरे न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का मौका हैं, बल्कि वैश्विक शांति के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने का अवसर भी हैं। दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या मोदी की यह कूटनीति इतिहास रचेगी।



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