योगी सरकार के स्कूल मर्जर फैसले पर AAP का हल्ला बोल: मधुशाला नहीं, पाठशाला चाहिए

By Shekhar

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उत्तर प्रदेश में स्कूल मर्जर के फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी का ‘स्कूल बचाओ अभियान’ जोरों पर। संजय सिंह ने योगी सरकार पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- “BJP अनपढ़ पीढ़ी बनाना चाहती है!” जानिए क्यों हो रहा है यह आंदोलन और क्या हैं सरकार के नए नियम।

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के स्कूल मर्जर नीति के खिलाफ आम आदमी पार्टी (AAP) ने सड़कों पर उतरकर जोरदार विरोध दर्ज किया है। 2 अगस्त 2025 को लखनऊ में हल्की बारिश के बीच AAP कार्यकर्ताओं ने “मधुशाला नहीं, पाठशाला चाहिए” के नारे के साथ प्रदर्शन किया। इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे AAP के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने योगी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी देश की भावी पीढ़ियों को अनपढ़ रखना चाहती है।

संजय सिंह ने कहा, “योगी सरकार 27,000 सरकारी स्कूल बंद कर रही है, जबकि 27,308 नई शराब की दुकानें खोलने का आदेश दे रही है। यह शिक्षा विरोधी मानसिकता है। हमें मधुशाला नहीं, पाठशाला चाहिए।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यह लड़ाई सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी जाएगी।

सरकार का यू-टर्न, फिर भी असंतोष

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूल मर्जर नीति में संशोधन करते हुए घोषणा की है कि 1 किलोमीटर से अधिक दूरी वाले स्कूलों का विलय नहीं होगा। साथ ही, हाईवे, नदी, या रेलवे क्रॉसिंग के पास स्थित स्कूल और 50 से अधिक छात्रों वाले स्कूल भी मर्जर से मुक्त रहेंगे। इसके बावजूद, AAP का कहना है कि यह आंशिक जीत है और एक भी स्कूल बंद नहीं होना चाहिए। संजय सिंह ने सवाल उठाया, “जब जापान में एक बच्चे की पढ़ाई के लिए ट्रेन चलती है, तो भारत में स्कूल क्यों बंद किए जा रहे हैं? सरकार को नए स्कूल खोलने और सुविधाएं बढ़ाने चाहिए।”

“अनपढ़ पीढ़ी बनाने की साजिश”

AAP का आरोप है कि स्कूलों की बदहाल स्थिति, शिक्षकों की कमी, और बुनियादी सुविधाओं का अभाव जानबूझकर किया जा रहा है ताकि सरकारी शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर निजीकरण को बढ़ावा दिया जाए। संजय सिंह ने कहा, “अगर गरीब, दलित, पिछड़े, और मुस्लिम बच्चे अनपढ़ रहेंगे, तो वे सवाल नहीं पूछेंगे। इससे सरकार को धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करने में आसानी होगी।”

उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल मर्जर के कारण बच्चों को 3-4 किलोमीटर दूर स्कूल जाना पड़ रहा है, जो खासकर लड़कियों और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के लिए खतरनाक है। कई अभिभावक सुरक्षा चिंताओं के चलते बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे हैं।

‘स्कूल बचाओ अभियान’ की रणनीति

AAP ने पूरे उत्तर प्रदेश में ‘स्कूल बचाओ अभियान’ के तहत गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करने और आंदोलन तेज करने का ऐलान किया है। पार्टी ने 27 जुलाई को “डपोरशंखों को जगाओ, शंख बजाओ” अभियान भी चलाया, जिसमें स्कूलों के बाहर शंख और थालियां बजाकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया। संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में भी इस नीति के खिलाफ याचिका दायर की है, जिसमें इसे संविधान के अनुच्छेद 21A और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act) का उल्लंघन बताया गया है।

सरकार की दलील और आलोचना

योगी सरकार का कहना है कि मर्जर नीति का उद्देश्य कम छात्रों वाले स्कूलों को बेहतर सुविधाओं वाले बड़े स्कूलों में समायोजित करना है। सरकार का दावा है कि इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी। हालांकि, AAP और अन्य विपक्षी दल इसे शिक्षा के निजीकरण की ओर कदम मानते हैं। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी आरोप लगाया कि यह फैसला उन क्षेत्रों में लिया गया है, जहां सपा को चुनावों में समर्थन मिलता था।

आगे की लड़ाई

AAP ने साफ कर दिया है कि जब तक सभी स्कूलों को बंद करने का फैसला पूरी तरह वापस नहीं लिया जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा। संजय सिंह ने कहा, “हमारी लड़ाई बच्चों के भविष्य के लिए है। स्कूलों में टॉयलेट, बिल्डिंग, और शिक्षकों की कमी को दूर करना सरकार की जिम्मेदारी है।”

यह मुद्दा उत्तर प्रदेश की राजनीति में गरमाया हुआ है, और आने वाले दिनों में यह और तूल पकड़ सकता है। क्या योगी सरकार AAP के दबाव में और बदलाव करेगी, या यह आंदोलन और तेज होगा? यह देखना बाकी है।


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