Uttar Pradesh सरकार ने Aided Schools Renovation के लिए बड़ा बदलाव किया है। Project Alankar UP के तहत Alumni, CSR Fund, सांसद-विधायक निधि और जनप्रतिनिधियों की मदद से जर्जर विद्यालयों का कायाकल्प होगा।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (Aided) माध्यमिक विद्यालयों के कायाकल्प में अब सरकार के साथ-साथ समाज भी सीधे भाग ले सकेगा। राज्य कैबिनेट ने Project Alankar की नियमावली में संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिससे अब जर्जर विद्यालयों के जीर्णोद्धार, मरम्मत, पुनर्निर्माण, निर्माण और अवस्थापना सुविधाओं के लिए बाहरी स्रोतों से भी मदद ली जा सकेगी।
क्या है नया बदलाव?
पहले योजना में 75% राशि राज्य सरकार और 25% राशि विद्यालय प्रबंधन को देनी होती थी। कई पुराने स्कूल आर्थिक तंगी के कारण इस हिस्से का इंतजाम नहीं कर पा रहे थे। अब नियम में बदलाव कर दिया गया है:
- विद्यालय प्रबंधन अपने हिस्से की 25% राशि के लिए पूर्व छात्रों (Alumni), जनप्रतिनिधियों, सांसद-विधायक निधि, CSR Fund, सामाजिक संस्थाओं या किसी भी व्यक्ति से मदद ले सकता है।
- सहमति पत्र जिलाधिकारी (DM) के माध्यम से जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) को देना होगा।
Project Alankar का उद्देश्य
Project Alankar योजना दो साल पहले शुरू हुई थी, जिसका मकसद 50 साल से कम समय पहले मान्यता प्राप्त पुराने और जर्जर विद्यालयों का कायाकल्प करना है। इसमें निम्न कार्य शामिल हैं:
- पुरानी इमारतों की मरम्मत
- नई कक्षाओं का निर्माण
- छत और दीवारों की मरम्मत
- शौचालय और पानी की सुविधाएं
- फर्नीचर और अन्य अवस्थापना सुधार
बजट और फंडिंग मैकेनिज्म
• 75% राशि – राज्य सरकार देगी
• 25% राशि – बाहरी सहयोग (Alumni, CSR Fund, सांसद-विधायक निधि, सामाजिक संस्थाएं) से जुटाई जाएगी।
समाज की भागीदारी
इस बदलाव का फायदा यह होगा कि:
- पूर्व छात्र अपने पुराने स्कूल को संवारने में मदद कर पाएंगे।
- कॉर्पोरेट कंपनियां CSR Fund for Education का उपयोग ग्रामीण और शहरी Aided Schools में कर सकेंगी।
- जनप्रतिनिधि सीधे शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में योगदान दे सकेंगे।
नतीजा
- जर्जर स्कूलों का कायाकल्प तेज़ी से होगा।
- छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
- शिक्षा की गुणवत्ता और उपस्थिति दर में सुधार होगा।
- सामाजिक-आर्थिक भागीदारी बढ़ेगी।
राज्य सरकार को उम्मीद है कि यह कदम Uttar Pradesh Aided Schools Renovation में नई जान फूंक देगा और यह शिक्षा में Public-Private Partnership का सफल उदाहरण बन सकता है।

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