Rahul Gandhi Atom Bam| राहुल गांधी का ‘चुनावी एटम बम’! क्या वोट चोरी से हारी कांग्रेस? पूरी कहानी जानें

By Shekhar

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Rahul Gandhi Atom Bam |नमस्ते दोस्तों, स्वागत है आपका अंकित इंस्पायर्स इंडिया पर! मैं हूं अंकित अवस्थी, और आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे मुद्दे की, जिसने भारतीय राजनीति में तहलका मचा दिया है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में एक ऐसा ‘एटम बम’ फोड़ा है, जिसके बारे में वो लंबे समय से कह रहे थे। इस बार उन्होंने चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला और गंभीर आरोप लगाए। तो आइए, इस पूरी कहानी को आसान और रोचक अंदाज में समझते हैं।

क्या है राहुल का ‘एटम बम’?
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से ही राहुल गांधी और उनकी पार्टी कांग्रेस बार-बार ये कह रही थी कि कहीं न कहीं चुनावों में गड़बड़ी हो रही है। हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में इंडिया अलायंस को वो नतीजे नहीं मिले, जिनकी उम्मीद थी। तब से ही राहुल गांधी कह रहे थे कि चुनाव आयोग और सत्ताधारी एनडीए गठबंधन मिलकर वोटों की चोरी कर रहे हैं। उनका दावा था कि एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल के नतीजे असल नतीजों से हमेशा अलग क्यों होते हैं? कुछ तो गड़बड़ है!

राहुल ने कई बार कहा कि वो जल्द ही एक बड़ा खुलासा करेंगे, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए ‘एटम बम’ साबित होगा। और आखिरकार, गुरुवार को उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बम फोड़ ही दिया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने एक प्रेजेंटेशन के जरिए बताया कि कैसे चुनाव आयोग ने सत्ताधारी बीजेपी की मदद की और वोटों की चोरी हुई।

क्या दिखाया राहुल ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में?
राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक की एक लोकसभा सीट, बेंगलुरु सेंट्रल के तहत आने वाली महादेवपुरा विधानसभा सीट का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि इस सीट पर बीजेपी ने वोट चोरी करके जीत हासिल की। उनके मुताबिक, लगभग 1 लाख 25 हजार वोट चोरी किए गए। राहुल ने पांच तरीकों का जिक्र किया, जिनसे ये चोरी हुई:

  1. डुप्लीकेट वोटर: 11,965 ऐसे मतदाता थे, जिनके नाम कई जगह दिखे। एक ही शख्स ने अलग-अलग बूथ पर वोट डाला।
  2. फर्जी पते: 4,000 ऐसे वोटर थे, जिनके पते गलत थे। जैसे, हाउस नंबर ‘जीरो’ या कोई अजीब चिन्ह (#, %) लिखा था।
  3. एक पते पर कई वोटर: 10,000 वोटर ऐसे थे, जिनका पता एक ही था। एक घर में 80 वोटर कैसे हो सकते हैं?
  4. अमान्य फोटो: 4,000 ऐसी तस्वीरें थीं, जो इतनी छोटी थीं कि पहचानना मुश्किल था।
  5. फॉर्म-6 का दुरुपयोग: नए वोटरों के लिए भरे जाने वाले फॉर्म-6 के जरिए 33,692 फर्जी नाम जोड़े गए।

राहुल ने दावा किया कि इन तरीकों से बीजेपी ने महादेवपुरा में 1 लाख 14 हजार ज्यादा वोट हासिल किए, जिसके चलते बेंगलुरु सेंट्रल सीट पर बीजेपी 32,000 वोटों से जीत गई।

कैसे शुरू हुई ये जांच?
राहुल गांधी का कहना है कि महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों में कुछ गड़बड़ जरूर थी। महाराष्ट्र में एंटी-इनकंबेंसी (सत्ताविरोधी लहर) के बावजूद बीजेपी जीत गई। हरियाणा में कांग्रेस को 8 सीटों पर सिर्फ 22,779 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। उनका कहना है कि कुछ खास सीटों पर ही धांधली हुई, जिसने पूरे नतीजे पलट दिए।

कर्नाटक में भी कांग्रेस को अपने आंतरिक सर्वे के मुताबिक 16 लोकसभा सीटें मिलनी थीं, लेकिन उन्हें सिर्फ 9 मिलीं। इसीलिए उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल की महादेवपुरा सीट पर जांच शुरू की। लेकिन एक बड़ी दिक्कत थी – चुनाव आयोग ने उन्हें मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट नहीं दी। यानी, ऐसी लिस्ट जो कंप्यूटर से आसानी से चेक की जा सके। इसके बजाय, हार्ड कॉपी दी गई, जिसे मैन्युअल चेक करना पड़ता है। लाखों वोटरों की लिस्ट को एक-एक नाम चेक करना कितना मुश्किल है, ये आप समझ सकते हैं! फिर भी, कांग्रेस ने मेहनत करके इस गड़बड़ी को पकड़ा।

चुनाव आयोग और बीजेपी का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उनका कहना है कि राहुल बिना सबूत के आरोप लगा रहे हैं। आयोग ने कहा, “अगर आपके पास सबूत हैं, तो शपथ लेकर दावा करें, हम जांच करेंगे।” कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भी कहा कि राहुल के दावे भ्रामक हैं। आयोग ने ये भी याद दिलाया कि राहुल पहले भी संवैधानिक संस्थानों पर हमला बोलते रहे हैं।

बीजेपी की तरफ से भी तीखा जवाब आया। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडनवीस ने कहा, “कांग्रेस अपना वजूद खो चुकी है। जनता इन्हें सबक सिखाएगी।” बीजेपी नेता संबित पात्रा ने कहा कि राहुल का संवैधानिक संस्थानों पर हमला उनकी पुरानी आदत है। अमित मालवीय, जो बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख हैं, ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, और वोटर लिस्ट राज्य सरकार के अधिकारियों ने बनाई। अगर गड़बड़ी हुई, तो कांग्रेस को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।

मालवीय ने ये भी कहा कि महादेवपुरा में बीजेपी का दबदबा हमेशा से रहा है। 2009 से अब तक वहां बीजेपी को ही ज्यादा वोट मिले हैं। साथ ही, नए वोटरों का जुड़ना कोई नई बात नहीं है। हर पांच साल में वोटरों की संख्या बढ़ती है, और आयोग समय-समय पर लिस्ट की जांच करता है।

राहुल के सवाल और जनता की राय
राहुल गांधी ने कुछ सवाल उठाए, जो जनता के मन में भी हैं:

  • एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल के नतीजे असल नतीजों से अलग क्यों होते हैं?
  • शाम 5 बजे के बाद वोटिंग टर्नआउट अचानक कैसे बढ़ जाता है?
  • महाराष्ट्र में 5 महीने में 40 लाख नए वोटर कैसे जुड़ गए?
  • चुनाव आयोग पार्टियों को पूरा डेटा और सीसीटीवी फुटेज क्यों नहीं देता?

इन सवालों ने सोशल मीडिया पर भी हलचल मचा दी है। कुछ लोग राहुल के साथ हैं, तो कुछ कह रहे हैं कि वो हार का ठीकरा आयोग पर फोड़ रहे हैं।

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