Up School Merger Court News Update -इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा, लाखों छात्रों का भविष्य अधर में

By Shekhar

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Up School Merger Court News Update उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर के खिलाफ याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में 4 जुलाई 2025 को सुनवाई पूरी हुई। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। जानिए कोर्ट की सुनवाई और स्कूल मर्जर विरोध की ताजा अपडेट।


उत्तर प्रदेश स्कूल मर्जर मामला: हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षिhttps://emeraldinternationalschool.inत रखा, क्या होगा छात्रों का भविष्य?

लखनऊ, 4 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश में परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के विलय (मर्जर) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 को सुनवाई पूरी हुई। लंबी और जोरदार बहस के बाद कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह निर्णय लाखों छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए अहम है, क्योंकि यह उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा के स्वरूप को प्रभावित कर सकता है।

कोर्ट में सुनवाई का विवरण

सुनवाई की शुरुआत सुबह हुई, जिसमें बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से अपर एडवोकेट जनरल (एएजी) और सीतापुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के विशेष अधिवक्ता संदीप दीक्षित ने सरकार का पक्ष रखा। सरकार ने मर्जर को एक पायलट प्रोजेक्ट बताया और दावा किया कि यह संसाधनों के बेहतर उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए है। सरकार ने यह भी तर्क दिया कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत मुख्य सचिव और शिक्षा मंत्री को नियम बनाने का अधिकार है। साथ ही, दूरस्थ स्कूलों के लिए परिवह व्यवस्था प्रदान करने का वादा किया गया।

हालांकि, कोर्ट ने सरकार की दलीलों पर सख्त टिप्पणी की। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने कहा कि नई शिक्षा नीति केवल एक दस्तावेज है, जबकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट) एक कानून है, जो छात्रों के मौलिक अधिकारों को परिभाषित करता है। कोर्ट ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि मर्जर से पहले कोई सर्वे नहीं किया गया और न ही यह नीतिगत निर्णय कैबिनेट में लिया गया।

याचिकाकर्ताओं की दलीलें

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एलपी मिश्रा ने 51 बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए जोरदार बहस की। उन्होंने स्कूल मर्जर और स्कूल कॉम्प्लेक्स के बीच अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि मर्जर का आदेश बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन करता है। याचिकाकर्ताओं ने मर्जर को शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 और संविधान के अनुच्छेद 21A का उल्लंघन बताया। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मर्जर से छोटे बच्चों को स्कूलों तक पहुंचने में दूरी और परिवहन की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

प्रदेश में मर्जर का विरोध

कोर्ट की सुनवाई के साथ-साथ, उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में मर्जर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। बरेली में भारी संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतरकर मर्जर के फैसले का विरोध किया। इसके अलावा, कांग्रेस और अन्य संगठनों ने भी इस नीति के खिलाफ प्रदर्शन किए। मायावती ने भी इस निर्णय को अनुचित बताते हुए कहा कि यह गरीब बच्चों की शिक्षा को प्रभावित करेगा।

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कोर्ट का फैसला और भविष्य

लंबी बहस के बाद, लखनऊ हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट जल्द ही अपना अंतिम आदेश जारी करेगा, जिसका असर लाखों छात्रों और शिक्षकों पर पड़ेगा। यह निर्णय न केवल शिक्षा के अधिकार को प्रभावित करेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की पहुंच और शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर डालेगा।

मर्जर से संबंधित तथ्य

विवरणजानकारी
मर्जर आदेश तारीख16 जून 2025
प्रभावित स्कूल27,965 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय
याचिकाकर्तासीतापुर के 51 बच्चे और अन्य
मुख्य दलीलशिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन, कोई सर्वे नहीं, बच्चों की परेशानी
सरकार का तर्कसंसाधनों का बेहतर उपयोग, परिवहन सुविधा
सुनवाई की तारीख3 और 4 जुलाई 2025
कोर्ट का निर्णयफैसला सुरक्षित

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों के मर्जर का मामला अब कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर है। यह निर्णय न केवल शिक्षा नीति को प्रभावित करेगा, बल्कि लाखों बच्चों के भविष्य को भी दिशा देगा। कोर्ट का यह फैसला शिक्षा के अधिकार और नई शिक्षा नीति के बीच संतुलन को परखेगा। सभी की नजरें अब कोर्ट के अंतिम आदेश पर टिकी हैं, जो जल्द ही सामने आएगा।

अधिक अपडेट के लिए बने रहें।



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