Uttrakhand news|बादल फटने से उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर में मची तबाही: देखें दिल दहलाने वाली तस्वीरें

By Shekhar

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Uttrakhand news उत्तरकाशी, केदारनाथ, शिमला, कुल्लू, मंडी और कश्मीर में बादल फटने की घटनाओं ने मचाई भयंकर तबाही। हजारों की जान गई, गांव मलबे में तब्दील। देखें पहले और बाद की तस्वीरें और जानें क्यों हो रही हैं ऐसी आपदाएं।


बादल फटने की आपदाओं ने हिलाया उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर

हाल के वर्षों में बादल फटने की घटनाओं ने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी तबाही मचाई है। ये प्राकृतिक आपदाएं न केवल जान-माल का नुकसान कर रही हैं, बल्कि लोगों के जीवन को भी पूरी तरह बदल रही हैं। आइए, पांच ऐसी बड़ी घटनाओं पर नजर डालते हैं, जिन्होंने इन क्षेत्रों को हिलाकर रख दिया।

1. केदारनाथ त्रासदी (16-17 जून 2013)

केदारनाथ में 12 साल पहले हुई भीषण आपदा को आज भी कोई नहीं भूल सकता। बादल फटने और अचानक आई बाढ़ ने इस पवित्र धाम को मलबे के ढेर में बदल दिया। इस त्रासदी में 4,000 से ज्यादा लोगों की जान चली गई, जबकि सैकड़ों लोग आज भी लापता हैं। यह घटना भारत में बादल फटने की सबसे भयावह त्रासदियों में से एक है।

2. कश्मीर के किस्तवाड़ में आपदा (28 जुलाई 2021)

जम्मू-कश्मीर के किस्तवाड़ जिले के हुंजार गांव में 2021 में बादल फटने से 26 लोगों की मौत हो गई और 17 लोग घायल हुए। इस घटना ने गांव को पूरी तरह तबाह कर दिया, जिससे कई परिवार बेघर हो गए।

3. उत्तरकाशी में बकोट-यमुनोत्री मार्ग पर तबाही (जून 2025)

इस साल जून में उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने से बकोट और यमुनोत्री मार्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ। इस आपदा में नौ मजदूर लापता हो गए और कई इमारतों को भारी नुकसान पहुंचा।

4. हिमाचल प्रदेश में मॉनसून का कहर (30 जून-1 जुलाई 2025)

हिमाचल प्रदेश के मंडी, कुल्लू और शिमला में 30 जून और 1 जुलाई 2025 के बीच बादल फटने की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई। अचानक आई बाढ़ में 11 लोगों की मौत हो गई, और कई लोग लापता हो गए। सड़कें, पुल और घर बह गए।

5. शिमला, कुल्लू और मंडी में ताजा तबाही (31 जुलाई 2025)

करीब छह दिन पहले, 31 जुलाई 2025 को हिमाचल प्रदेश के शिमला, कुल्लू और मंडी में बादल फटने की घटना ने एक बार फिर कहर बरपाया। इस आपदा में 22 लोगों की जान चली गई और 30 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित रहा, जहां घर, सड़कें और पुल तबाह हो गए।

उत्तरकाशी के धराली गांव की तबाही: पहले और बाद की तस्वीर

उत्तरकाशी के धराली गांव में हाल ही में बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके को मलबे में बदल दिया। तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि तबाही से पहले का खूबसूरत गांव अब पूरी तरह उजड़ चुका है। खीर गंगा नदी में अचानक आई बाढ़ ने होटल, रेस्टोरेंट, लॉज और गेस्ट हाउस को पलक झपकते ही नेस्तनाबूद कर दिया। यह सब महज 20-25 सेकंड में हुआ।

क्यों होती हैं ऐसी आपदाएं?

वैज्ञानिकों के अनुसार, बादल फटने की घटनाएं ज्यादातर मॉनसून के दौरान होती हैं, जब नमी से भरे बादल एक जगह जमा होकर अचानक भारी बारिश करते हैं। हिमाचल और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में यह घटनाएं क्षेत्रीय जलचक्र और क्यूमुलोनिम्बस बादलों के बनने के कारण होती हैं। हालांकि, मानवीय गतिविधियां जैसे नदी किनारे अंधाधुंध निर्माण भी इन आपदाओं को और भयावह बना रहे हैं।

उत्तरकाशी के धराली गांव में तबाही का एक प्रमुख कारण नदी के किनारे बसे रिहायशी इलाके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नदी के 100 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं होना चाहिए, लेकिन धराली में 10-15 मीटर की दूरी पर ही होटल और घर बनाए गए थे। जब बाढ़ आई, तो इसने सब कुछ तहस-नहस कर दिया।

क्या है समाधान?

इन आपदाओं से बचने के लिए विशेषज्ञ नदी किनारों पर निर्माण पर सख्ती, बेहतर मौसम पूर्वानुमान, और आपदा प्रबंधन की मजबूत व्यवस्था की सलाह देते हैं। स्थानीय प्रशासन को संवेदनशील क्षेत्रों में बस्तियों को स्थानांतरित करने और लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।

बादल फटने की इन घटनाओं ने हमें प्रकृति की ताकत का अहसास कराया है। केदारनाथ से लेकर धराली तक, इन त्रासदियों ने हजारों जिंदगियां छीन लीं और लाखों लोगों को प्रभावित किया। अब समय है कि हम इन आपदाओं से सबक लें और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।

आप इन तस्वीरों और कहानियों को देखकर क्या सोचते हैं? अपनी राय कमेंट में साझा करें!


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