चुनाव चोरी का विस्फोटक खुलासा: मृत लोग वोटर लिस्ट में जिंदा, असली नागरिक गायब!
नई दिल्ली: भारत के लोकतंत्र पर इस समय सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो गया है – क्या चुनाव आयोग और सत्ता पक्ष मिलकर चुनाव को हाईजैक कर रहे हैं? हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर दोनों ने ही वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया। वहीं, चुनाव आयोग के मुख्य आयुक्त ग्यानेश कुमार के बयानों ने पूरे देश में हलचल मचा दी है।
राहुल गांधी का दावा – 1,00,250 नकली वोट
7 अगस्त 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने 100,250 फर्जी वोट का खुलासा किया। यह आंकड़ा केवल बैंगलोर सेंट्रल के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र का है, जहां से कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।
- 11,000 डुप्लीकेट वोटर
- 40,000 फर्जी और अवैध पते
- 10,000 बल्क वोटर (एक ही पते से)
- 4,000 अवैध फोटो वाले वोटर
- 33,000 फॉर्म-6 का दुरुपयोग
यानी सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र में ही लोकतंत्र पर बड़ा हमला किया गया।
अनुराग ठाकुर का दावा – 2.99 लाख संदिग्ध वोट
13 अगस्त को बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 2.99 लाख वोट संदिग्ध हैं। यानी अब दोनों दल ही चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं।
चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस – CCTV विवाद
17 अगस्त को चुनाव आयोग ने तीसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस की। लोगों को उम्मीद थी कि चुनाव आयोग गंभीर आरोपों पर जवाब देगा, लेकिन ग्यानेश कुमार ने कहा कि CCTV फुटेज सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें महिलाओं की प्राइवेसी जुड़ी है।
इस बयान ने सवाल खड़े कर दिए – क्या मतदान केंद्र बाथरूम या बेडरूम है? बिल्कुल नहीं! यह तो मतदान का स्थान है, जहां CCTV का मकसद ही पारदर्शिता दिखाना था।
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश चुनावों पर भी सवाल
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 और मध्यप्रदेश चुनाव 2023 में भी धांधली हुई। एमपी में 27 सीटों पर धांधली का आरोप लगाया गया, जहां बीजेपी की जीत का अंतर कुछ हजार वोटों का था।
बिहार और यूपी में मृत लोग बने वोटर
बिहार और यूपी से चौंकाने वाले खुलासे हुए। कई मृत लोगों के नाम अब भी वोटर लिस्ट में दर्ज हैं, जबकि असली जिंदा नागरिकों के नाम काट दिए गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 65 लाख नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं।
जर्नलिस्ट तमिल साहा ने वीडियो जारी कर बताया कि जिनके निधन को 8 साल हो गए, उनके नाम अब भी वोटर लिस्ट में मौजूद हैं। वहीं उनके जिंदा परिजनों के नाम लिस्ट से गायब कर दिए गए।
509 वोटर एक ही पते पर
द रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने खुलासा किया कि बिहार के कई इलाकों में 509 वोटर एक ही पते पर रजिस्टर्ड दिखाए गए। मज़ाक यह है कि वह घर असल में अस्तित्व में ही नहीं है। यही नहीं, कुछ इलाकों में 459 वोटर भी एक काल्पनिक पते पर रजिस्टर्ड मिले।
आरोपों के बीच चुनाव आयोग की चुप्पी
राहुल गांधी ने कहा कि जब वे डेटा पेश कर रहे हैं जो चुनाव आयोग के रिकॉर्ड से ही निकला है, तो आयोग उस पर जवाब क्यों नहीं दे रहा? जबकि अनुराग ठाकुर के आरोपों पर कोई हलफनामा नहीं मांगा गया।
न्यायपालिका और लोकतंत्र पर असर
सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लोकतंत्र की हत्या तक कह दी। जैसे चंडीगढ़ मेयर चुनाव का मामला, जहां CCTV फुटेज से धांधली पकड़ी गई। लेकिन जब राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव हो रहे हैं, तो फुटेज को नष्ट करने का आदेश क्यों दिया जा रहा है?
निष्कर्ष – सवाल बना हुआ है
यह विवाद कांग्रेस बनाम बीजेपी नहीं है। यह हर भारतीय नागरिक के वोट और लोकतंत्र की रक्षा का मुद्दा है। अगर चुनाव आयोग निर्दोष है, तो CCTV फुटेज और वोटर लिस्ट सार्वजनिक क्यों नहीं कर रहा? आखिर पारदर्शिता से डर किसे है?
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