Nexa Scam 2700 Crore Scam | 500 Crore Bribe | Audio Leak से फंसी Police | Rajasthan नेक्सा एवरग्रीन घोटाला: 2700 करोड़ की ठगी, पुलिस सेटिंग और सिस्टम की चुप्पी का खुलासा

By Shekhar

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Nexa Scam 2700 Crore Scam | 500 Crore Bribe | Audio Leak से फंसी Police | Rajasthan नेक्सा एवरग्रीन घोटाला: 2700 करोड़ की ठगी, पुलिस सेटिंग और सिस्टम की चुप्पी का खुलासा
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Nexa Scam 2700 Crore Scam | 500 Crore Bribe | Audio Leak से फंसी Police | Rajasthan नेक्सा एवरग्रीन घोटाला: 2700 करोड़ की ठगी, पुलिस सेटिंग और सिस्टम की चुप्पी का खुलासा


Nexa Scam 2700 Crore-नेक्सा एवरग्रीन घोटाले में 70,000 लोगों से 2700 करोड़ की ठगी, सुभाष और रणवीर बिजारणिया के पोंजी स्कीम का पर्दाफाश। लीक ऑडियो में 500 करोड़ की डील और पुलिस सेटिंग के चौंकाने वाले दावे। जानिए इस बड़े रियल एस्टेट और मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले की पूरी कहानी।


नेक्सा एवरग्रीन घोटाला: 2700 करोड़ की ठगी, पुलिस सेटिंग और सिस्टम की चुप्पी का खुलासा

राजस्थान के सीकर जिले से सामने आए नेक्सा एवरग्रीन घोटाले ने भारत के रियल एस्टेट और मनी लॉन्ड्रिंग के इतिहास में एक काला अध्याय जोड़ा है। इस घोटाले में दो भाइयों, सुभाष और रणवीर बिजारणिया, ने गुजरात के धोलेरा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर 70,000 से अधिक लोगों से लगभग 2700 करोड़ रुपये की ठगी की। हाल ही में लीक हुए एक ऑडियो ने इस मामले में नई सनसनी फैला दी है, जिसमें पुलिस सेटिंग और 500 करोड़ रुपये की रिहाई डील के गंभीर आरोप सामने आए हैं। आइए, इस घोटाले की पूरी कहानी और इसके पीछे की साजिश को विस्तार से समझते हैं।

नेक्सा एवरग्रीन घोटाले की शुरुआत

सुभाष और रणवीर बिजारणिया, जो सीकर जिले के पनलावा गांव के रहने वाले हैं, ने 2021 में अहमदाबाद में नेक्सा एवरग्रीन नाम की कंपनी रजिस्टर की। कंपनी ने दावा किया कि उनके पास धोलेरा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 1300 बीघा जमीन है, और निवेशकों को प्लॉट, फ्लैट और भारी रिटर्न का वादा किया। यह प्रोजेक्ट भारत सरकार और गुजरात सरकार का संयुक्त उपक्रम है, जो 920 वर्ग किलोमीटर में फैला भारत का पहला ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट है।

इन भाइयों ने मल्टी-लेवल मार्केटिंग (MLM) मॉडल अपनाया, जिसमें निवेशकों को नए निवेशक लाने पर कमीशन और लैपटॉप, बाइक, कार जैसे इनाम देने का लालच दिया गया। शुरुआती निवेशकों को कुछ रिटर्न और संपत्तियां दी गईं, जिससे योजना में विश्वास बढ़ा। लेकिन 2023 में कंपनी ने अचानक अपने कार्यालय बंद कर दिए, और मुख्य आरोपी फरार हो गए।

ठगी का पैसा कहां गया?

जांच में खुलासा हुआ कि ठगी के पैसों से आरोपियों ने:

  • राजस्थान में होटल और खनन व्यवसाय खरीदे।
  • अहमदाबाद में फ्लैट्स और गोवा में 25 रिसॉर्ट्स खरीदे।
  • 1300 बीघा जमीन और लग्जरी गाड़ियां खरीदीं।
  • 250 करोड़ रुपये नकद और बाकी राशि को 27 शेल कंपनियों के जरिए ट्रांसफर किया गया।

लगभग 1500 करोड़ रुपये एजेंटों को कमीशन के रूप में बांटे गए, जिससे यह नेटवर्क तेजी से फैला।

ईडी की कार्रवाई और लूट का खुलासा

12 जून 2025 को, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राजस्थान (जयपुर, सीकर, झुंझुनूं, जोधपुर) और गुजरात (अहमदाबाद) में 24 ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान:

  • 2.04 करोड़ रुपये नकद बरामद किए गए।
  • 15 करोड़ रुपये के बैंक खाते और क्रिप्टो वॉलेट फ्रीज किए गए।
  • कई डिजिटल डिवाइस और दस्तावेज जब्त किए गए।

ईडी की जांच में सामने आया कि यह एक जटिल पोंजी स्कीम थी, जिसमें निवेशकों को फर्जी जमीन के दस्तावेज और बढ़ा-चढ़ाकर रिटर्न का वादा किया गया।

लीक ऑडियो और पुलिस सेटिंग के आरोप

हाल ही में लीक हुए एक 42 मिनट के ऑडियो ने इस मामले में नया मोड़ ला दिया। इस ऑडियो में हेड कॉन्स्टेबल श्याम ने पीड़ित सतबीर से बातचीत में कई चौंकाने वाले दावे किए:

  • तत्कालीन एसएसपी रामचंद्र मुंड ने आरोपियों से 500 करोड़ रुपये की डील की थी, ताकि उन्हें 6 महीने में जेल से रिहा किया जा सके।
  • कॉन्स्टेबल मूलचंद को लेनदेन के लिए लाया गया, जिसने कथित तौर पर करोड़ों की जमीनें खरीदीं।
  • गोपाल दूधवाल नामक एक आरोपी को जेल में टॉर्चर किया गया, ताकि वह डर जाए और पैसे दे।

ऑडियो में यह भी दावा किया गया कि जेल में आरोपी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे थे और वीडियो कॉल के जरिए धमकी दे रहे थे।

पुलिस और सिस्टम पर सवाल

इस मामले में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे हैं:

  • शुरुआत में पुलिस ने कंपनी के कार्यालय या संपत्ति को सीज नहीं किया।
  • सतबीर ने पुलिस मुख्यालय, ईडी और एसीबी तक शिकायत की, लेकिन कार्रवाई में देरी हुई।
  • तत्कालीन एसएसपी रामचंद्र मुंड को जांच से हटाकर ट्रांसफर कर दिया गया। उन्होंने कहा, “मुझे कुछ नहीं पता, मैं रिटायर हो चुका हूं।”

पीड़ितों की स्थिति

इस घोटाले ने 70,000 से अधिक निवेशकों को प्रभावित किया, जिनमें सैन्यकर्मी, पुलिसकर्मी और सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। कई निवेशकों को न तो जमीन मिली और न ही उनका पैसा वापस हुआ। शुरुआती निवेशकों को कुछ रिटर्न देकर विश्वास जीता गया, लेकिन जनवरी 2023 में भुगतान अचानक बंद हो गया, जिससे निवेशक भारी कर्ज और तनाव में हैं।

तालिका: नेक्सा एवरग्रीन घोटाले की मुख्य जानकारी

विवरणजानकारी
कंपनी का नामनेक्सा एवरग्रीन
मुख्य आरोपीसुभाष बिजारणिया, रणवीर बिजारणिया
ठगी की राशि2700 करोड़ रुपये
प्रभावित निवेशक70,000 से अधिक
प्रमुख स्थानसीकर, जयपुर, झुंझुनूं, जोधपुर (राजस्थान), अहमदाबाद (गुजरात)
प्रोजेक्ट का नामधोलेरा स्मार्ट सिटी
ईडी की कार्रवाई12 जून 2025 को 24 ठिकानों पर छापेमारी, 2.04 करोड़ नकद, 15 करोड़ फ्रीज
लीक ऑडियो का दावा500 करोड़ की डील, पुलिस सेटिंग, जेल में मोबाइल और टॉर्चर के आरोप
खरीदी गई संपत्तिहोटल, रिसॉर्ट्स, खनन, लग्जरी गाड़ियां, 1300 बीघा जमीन
कानूनी स्थितिईडी की जांच जारी, पुलिस पर सेटिंग के आरोप

सिस्टम की चुप्पी और भविष्य

इस घोटाले ने न केवल निवेशकों का विश्वास तोड़ा, बल्कि सिस्टम की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के आरोपों ने भी कई सवाल खड़े किए हैं। लीक ऑडियो ने पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। सतबीर जैसे पीड़ितों ने सिस्टम की चुप्पी के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन क्या यह मामला दब जाएगा, या इसमें शामिल लोगों को सजा मिलेगी? यह सवाल जनता के मन में है।

निष्कर्ष

नेक्सा एवरग्रीन घोटाला भारत के सबसे बड़े रियल एस्टेट और मनी लॉन्ड्रिंग घोटालों में से एक है। यह न केवल निवेशकों के लिए सबक है, बल्कि सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत को भी उजागर करता है। ईडी की जांच और लीक ऑडियो से उम्मीद है कि इस मामले में सच्चाई सामने आएगी और पीड़ितों को न्याय मिलेगा।

आपकी राय क्या है?
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